Why is the consumption of vegetables like potato-zimikand forbidden in Jainism?
बहुत कम लोगों को पता होगा कि जैन धर्म (Jainism) में आलू या जिमीकंद जैसी सब्जियां खाना वर्जित माना गया है। असल में जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियों को कंद कहा जाता है।
ऐसी सब्जियों में आलू, लहसुन, प्याज, मूली, गाजर, शकरकंद, जमीकंद जैसी शामिल हैं। जैन धर्म में जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियों को अशुद्ध माना जाता है।

जैन धर्मगुरुओं के मुताबिक ऐसी सब्जियों के सेवन से इंसान में तामसिक भावना बढ़ती है, जिससे इंसान गलत रास्तों की ओर उन्मुख होता है। इसीलिए जैन धर्म में आलू-जिमीकंद या दूसरी कंद सब्जियों से बचने की कोशिश की जाती है।
व्रत में दिन में पानी तक नहीं पीते
जैन धर्म (Jainism) के विद्वानों के मुताबिक जिस क्षेत्र में जैनी रहते हैं, वहां पर वे आलू की सब्जी खाने से बचते हैं। जब उनके व्रत चल रहे होते हैं तो वे दिन में पानी तक नहीं पीते। शाम होने पर वे केवल एक बार ही पानी पीते हैं।
जब उनकी अंतिम आराधना होती है तो वे संथारा या सल्लेखना करते हैं। हिंदू और बौद्ध की तरह जैन धर्म में भी’अहिंसा परमो धर्म’ के वाक्य को अटूट रूप में स्वीकार किया जाता है। वे किसी भी प्रकार के जीवों पर अत्याचार का विरोध करते हैं और मांसाहार को हराम मानते हैं।